चिचरी का मतलब समझते हैं? नहीं!? अरे बचपन में स्लेट पर 'चिचरी' नहीं 'खींचें' हैं का कभी? हम भी अभी वही चिचरी खींच रहे हैं अपने ब्लॉग पर...
बड़ी दिन बाद आज सूर धर लिया, हाथ तो बड़ी दिन से 'खजुआ' रहा था, कुछ टिप-टाप के डाला जाए ब्लॉग के ऊपर, पर कुछ टॉपिक आ ही नहीं रहा था दिमाग में| कभी अन्ना हजारे आते थे तो कभी केजरीवाल, कभी निर्भया आती थी तो कभी गुड़िया, कभी फेकू आते थे तो कभी पप्पू, कभी पाकिस्तान आता था तो कभी चीन, कभी सरबजीत आते थे तो कभी सनाउल्लाह, कभी मनमोहन आते थे तो कभी ख़ामोशी... मतलब समझ नहीं आता है की कौन सा टॉपिक उठाया जाए| मतलब सब के सब बेकार ही थे| दिल्ली में हल्ला करेंगे आ कर्नाटक पहुँचते-पहुँचते सब हल्ला शांत हो जाता है| का कीजियेगा, हम सब पब्लिक ही हैं न, कोई मुद्दा का कौनो मतलब नहीं है| आराम से रूम में बैठ के चम्पिंग-चपांग करने में मजा है|
हम भी बईठले हैं| कौनो काम नहीं है, आ कुछु फरक भी नहीं पड़ता है| खाली चीनी आ पियाज का दाम कंट्रोल में रहना चाहिए| पेट्रोल-डीजल का भी टेंशन नहीं है, मोटर साइकिल भी तो नहीं मेरे पास| मतलब सच बोले, तो आज के डेट में हमको कौनो चीज एफ्फेक्ट नहीं करता है, बस अपना काम निकलते रहना चाहिए| अब हैदराबाद में बम फटे चाहे बंगलोर में, हमको उस से क्या, हम तो अपने घर में सुत्तल रहते हैं| आ दूसरा बात इ भी है, हम तो लड़का हैं, हमारे साथ कौनो 'उ' सब होने का भी चांस नहीं है, तब आप ही बोलिए, कौनो टेंशन है हमको???
बड़ी दिन से हल्ला किये था सब एक साल पाहिले जंतर मंतर चलने के लिए, कैंडल मार्च करने के लिए, जय अन्ना-जय गाँधी, जय लोकपाल करने के लिए| भाक्! कुच्छो हुआ???
फिर हल्ला चालु हुआ निर्भया-गुड़िया का! फिर वही हल्ला-हंगामा! कुच्छो हुआ!
फिर हल्ला हो रहा था नामो-रागा का, कुच्छो हुआ!
कुच्छो नहीं होगा??? कौनो विकल्प है 'आप'के पास??? बतायिए, अगर बोलना नहीं है तो कम से कम सोचिये|
इसलिए हम हमेशा बोलते हैं, सब बेकार है, बस चिचरी खीचये, हल्ला किजीये, फिर तो समय के साथ हम सब के दिमाग के स्लेट से सब कुछ मिट ही जाएगा, क्या टेंशन है| काहें ला इंडिया गेट आ जंतर मंतर को जलियावाला बाग बनाना चाहते हैं!
हम बोल रहे हैं, आ समझा रहे हैं, कुच्छो मत कीजिये, बस चुप-चाप सुत्तल रहिये! कौनो फरक नहीं पड़ने वाला, 2013 चल रहा है, तुरंते 2014 भी आ जाएगा, आ फिर इसी तरह 2020 भी आ जायेगा, तब तक तो आइये जाएगा हमारा 'विज़न 2020'! का टेंशन है, सब ठीक हो जाएगा, सुत्तल-सुत्तल|
हम तो 'थेथर' हैं, ब्लॉग को गन्दा करते ही रहेंगे, चिचरी खिंचबे करेंगे, अब आपको पढ़ना है तो पढ़िए, आ हमको गरियाना है तो गरियाइये| आदत नहीं छूटेगा मेरा| आ एक और बात अब से ऐसा ही चिचरी खीचेंगे हम|
इसलिए, आराम से सुत्तल रहिये खाली!!!